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ग्रामीण विकास में स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी पर राष्ट्रीय कार्यशाला

देश के प्रशासनिक संचालन के लिए जितना सरकारी तंत्र आवश्यक है, उतना ही उन संगठनों की उपस्थिति भी है,जिनका जुड़ाव सीधे-सीधे जनसामान्य और उनकी दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से है। जनता के बीच कार्यरत स्वैच्छिक संगठन कहलाने वाले इन संगठनों के अनुभव भी विविध हैं।जन सामान्य के हितों की पुष्टि तथा सरकारी योजनाओं को ज़रूरतमंदों तक पहुंचाने के क्रम में इन संगठनों को भी कम समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।ग़ैर सरकारी के इन अनुभवों को आपसी संवाद के माध्यम से साझा करना जनोन्मुख प्रक्रिया तो है ही, अपने कार्यों को अंजाम देने की प्रक्रिया में जिन समस्याओं से उनकी मुठभेड़ होती है,उन्हें सरकारी तंत्र तक पहुंचाना एवं तंत्र का इन संगठनों के साथ संवाद भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।

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